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दिल्ली में भाजपा रणनीतिकारों को जिसका डर था, आखिर वहीं हुआ। वह कांग्रेस के गिरते जनाधार को अपने लिए खतरे की घंटी मान रहे थे। वह इस बात से डरे हुए थे कि कांग्रेस के मत फीसद में कहीं गिरावट न आ जाए। भाजपा के रणनीतिकार शुरू से कह रहे थे कि यदि ऐसा होता है तो इसका सीधा लाभ आम आदमी पार्टी को मिलेगा। क्योंकि कांग्रेस के समर्थक भाजपा के बजाए अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े होंगे। उनका यह आकलन सही निकला और कांग्रेस के पतन ने भाजपा को भी रसातल में पहुंचा दिया। हालांकि, भाजपा के मत फीसद में पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में 1.74 फीसद की ही कमी आई है। लेकिन उसे 29 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है, क्योंकि कांग्रेस, बसपा व अन्य के मतदान फीसद में जो कमी आई है उसका सीधा लाभ आप को मिला है। पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में आप के मत फीसद में 24.8 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। जिससे वह दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतने में सफल रही।
पिछले विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा भाजपा को 33.94 फीसद मत मिले थे। उसे 32 सीटें मिली थी। वहीं, आप 29.5 फीसद मत लेकर 28 सीटें जीतने में सफल रही थी। जबकि कांग्रेस 24.5 फीसद मत लेकर भी सिर्फ आठ सीटें जीत पाई थी। भाजपा का मानना था कि इस बार भी यदि त्रिकोणीय मुकाबला होगा तो कांग्रेस व आप के बीच मतों का बंटवारा होने से उसे लाभ मिल सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और कांग्रेस का मत फीसद दस फीसद भी नहीं पहुंच सका। उसे मात्र 9.7 फीसद वोट मिले हैं। इसी तरह से पिछले चुनाव में लगभग छह फीसद वोट लेने वाली बसपा भी 1.3 फीसद पर आकर सिमट गई, क्योंकि उसके समर्थक आप के साथ चले गए। यही कारण है कि पिछले चुनाव की तुलना में ज्यादा मत हासिल करने के बाद भी बदरपुर, हरिनगर, कालकाजी सहित कई सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।
विस चुनाव 2013 के आंकड़े
पार्टी-मत फीसद-सीटें
भाजपा-33.94-32
कांग्रेस-24.5-8
आप-29.5-28
लोस चुनाव 2014 के आंकड़े
पार्टी-मत फीसद-विस सीटों पर बढ़त
भाजपा-46.4-60
आप-32.9-10
कांग्रेस-15.1-0
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