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ताज का संगमरमरी हुस्न और उसके ऊपर अठखेलियां करतीं चांद की श्वेत रश्मियां। धवल चांदनी में ढला संगमरमरी साया, जैसे ताज के ऊपर बर्फ पिघल रही हो। ऐसा अनूठा और दिलकश नजारा कि जमीं पर जन्नत उतर आई हो। परंतु दिन में सैलानियों की आमद का सरताज बना ताज चमकी का सरताज अब तक नहीं बन पाया। 20 साल की लंबी बंदी के बाद नौ साल पहले शुरू हुआ रात्रि दर्शन अब तक बंदिशों के चलते सैलानियों को पूरी तरह आकर्षित नहीं कर पाया। रात्रि दर्शन में सैलानी तो बढ़े, लेकिन बहुत धीमी रफ्तार से।
वर्ष 1983 तक चांदनी रात में ताज निहारने पर कोई बंदिश नहीं थी। वर्ष 1984 में सुरक्षा कारणों रात्रि दर्शन बंद कर दिया गया। इसके 20 साल बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नवंबर 2004 में रात्रि दर्शन फिर शुरू हुआ। तबसे हर माह पूर्णमासी पर पांच दिन (पूर्णिमा के दो दिन पहले, पूर्णिमा और उसके दो दिन बाद) ताज का रात्रि दर्शन कराया जाता है। इसमें 50-50 के आठ बैचों में सैलानी जा सकते हैं। परंतु अब तक रात्रि दर्शन पूरे साल कभी फुल नहीं रहा।
दिलकश नजारा पर न मिलेगा प्रवेश
चांदनी में ताज सबसे ज्यादा शरद पूर्णिमा के दिन खूबसूरत नजर आता है। शुक्रवार को शरद पूर्णिमा है। परंतु शुक्रवार को ताज बंद रहने के कारण रात्रि दर्शन भी नहीं होता है। ऐसे में छतों से ताज निहारने को अभी से ताजगंज क्षेत्र के होटलों में बुकिंग शुरू हो गई है।
कब आए कितने सैलानी
वर्ष – भारतीय – विदेशी – बच्चे – कुल
2004 (नवंबर व दिसंबर तक) – 664 – 342 – 181 – 1387
2005 – 1698 – 1783 – 293 – 3774
2006 – 712 – 968 – 95 – 1775
2007 – 1591 – 1652 – 258 – 3501
2008 – 1148 – 1507 – 185 – 2840
2009 – 1403 – 1507 – 185 – 2840
2010 – 1757 – 2163 – 370 – 4320
2011 – 2516 – 2186 – 364 – 5066
2012 – 3973 – 3471 – 800 – 8244
2013 (सितंबर तक) – 3093 – 1755 – 525 – 5393
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