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भये प्रगट कृपाला दीनदयाला…

Bhupendra blog
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‘नौमी तिथि मधुमास पुनीता, सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता। मध्य दिवस अति सीत न घामा, पावन काल लोक बिश्रामा’ गोस्वामी तुलसीदास का भगवान श्रीराम के प्राकट्य का अनुभव शनिवार को अयोध्या के चौराहों से लेकर गलियों तक महसूस किया जाता रहा। दोपहर ठीक बारह बजे ‘भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी’ की ध्वनि कनक भवन समेत अन्य प्रमुख मंदिरों में गूंजने लगी।
श्रद्धालुओं के भक्तिकलश से रह-रह कर टपकते-छलकते श्रद्धा के भाव जयकारे के रूप में गंुजायमान होते रहे। इस पावन काल में प्रभु के जन्म लेते ही कनक भवन सहित पूरी अयोध्या उल्लास से भर उठी। कनक भवन के पुजारी दिनेश कुमार ने आरती कर भगवान का इस धरा-धाम पर स्वागत किया। संत-महंतों व श्रद्धालुओं ने प्रभु के इस मोहिनी स्वरूप का दर्शन कर स्वयं को कृतार्थ किया।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच देर दोपहर तक भगवान के दर्शन-पूजन के लिए लाखों श्रद्धालुओं का रेला लगा रहा। प्रात: आठ बजकर फ्0 मिनट पर कनक भवन का पट खुलने के बाद से ही दर्शन को श्रद्धालुओं की लंबी कतारें रहीं। पूर्वाह्न होते-होत सरयू स्नानघाटों से होकर हनुमानगढ़ी होते हुए श्रद्धालुओं का रेला कनक भवन मंदिर परिसर में प्रभु के प्राकट्य की प्रतीक्षा में स्थान सुरक्षित करने लगा। मध्याह्न से कुछ देर पहले कनक भवन के गर्भगृह का परदा गिर गया। इसके बाद से तो कीर्तन, स्तुति, जप, तप का सिललिला पूरे रौ में चलने लगा। प्रभु जन्म के बाद उनकी झलक पाने को आतुर श्रद्धालुओं के कीर्तन के स्वरों में अधीरता आने लगी तो संत-महंत भी भावविभोर हो उठे।
पूरा वातावरण मंगलमय हो उठा। परमात्मा का सानिध्य पाकर प्रकृति ने अपने पूरे वैभव से अयोध्या को आच्छादित कर दिया। इस अवसर पर मंदिर के जगमोहन में मध्य प्रदेश सहित विभिन्न स्थानों से आए संतों-कलाकारों द्वारा श्रीरामजन्मोत्सव पद के सस्वर गायन पर वहां मौजूद श्रद्धालुओं का समूह भावविभोर हो उठा। स्वर्गद्वार स्थित श्री कालेराम मंदिर में रामजन्मोत्सव पर्व संगीत के स्वरों के बीच धूमधाम से मनाया गया।
दूसरी ओर चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी तिथि में सूर्योदय रविवार को होने से इस दिन श्रीरामजन्मभूमि, दशरथ महल, रंग महल, श्रीरामबल्लाकुंज, मणिराम दास जी की छावनी, रंगमहल, रामहर्षण कुंज, जानकी महल, दिब्यकला मंदिर, रूपकला मंदिर, हनुमानबाग, दर्शन भवन आदि मंदिरों में एक अप्रैल को मध्यान्ह मंगलध्वनियों के बीच रामलला का प्राकट्य होगा।

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